शाहरुख खान की दमदार वापसी, लेकिन कहानी के मामले में ‘पठान’ कमजोर

करीब 4 साल बाद शाहरुख खान ने बड़े पर्दे पर वापसी की है। फिल्म दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने में कामयाब भी रही है, लेकिन फिल्म देखने के बाद बाहर आने वाले सभी लोगों को लगता है कि शाहरुख खान की वापसी के लिए यह सही विकल्प नहीं था। इसकी प्रस्तुति से समझ आ गया था कि ‘यशराज’ के बैनर तले बनी ‘पठान’ एक कमर्शियल मसाला फिल्म है, लेकिन यह फिल्म निश्चित रूप से 4 साल का ब्रेक लेने वाले शाहरुख खान की वापसी के लिए उपयुक्त नहीं थी।
बेशक, शाहरुख का, स्वैग, उनकी अद्भुत डायलॉग डिलीवरी सब कुछ है और हमें यह पसंद है, लेकिन यह फिल्म लगातार एक ड्रैग-एंड-ड्रॉप एक्शन फिल्म की तरह महसूस होती है।


फिल्म का प्लॉट बेहद सिंपल है। भारत में एक सुरक्षा एजेंसी और उसके कुछ एजेंटों के बीच मुठभेड़, देश की तबाही का सपना देख रहे एक आतंकवादी समूह और उनकी योजनाओं को विफल करने वाला एक एजेंट, और अप्रत्याशित अंत। इसे आर्गेनिक वॉर और विज्ञान के साथ जोड़कर अब तक कई फिल्मों में पेश किए गए स्क्रिप्ट को ‘पठान’ के जरिए एक नए मोड़ के साथ हमारे सामने पेश किया गया है। इस पूरी साजिश में यशराज का ‘स्पाई यूनिवर्स’ हालांकि हमारी समझ से परे जानबूझकर धर्म और भारत-पाकिस्तान के मुद्दे को रेखांकित करने पर जोर देता है। इसी बात को ‘पठान’ में हाईलाइट किया जाता है और सेक्युलर दिखने वाला ‘पठान’ साम्प्रदायिक लगने लगता है, बेशक दर्शक इतने भोले भी नहीं हैं कि इस बात को न समझ सकें। 
‘पठान’ पूरी तरह से शाहरुख खान की फिल्म है, जॉन अब्राहम का किरदार ‘जिम’ उन्हें नेगेटिव दिखाने की कोशिश करता है, लेकिन हमें प्रभावित करने में विफल रहता है। दीपिका पादुकोण का किरदार रुबीना एक आईएसआई एजेंट है और वह कभी ‘जिम’ की तरफ खेलती है तो कभी ‘पठान’ की तरफ। और तो और, ‘रॉ’ और ‘आईएसआई’ के एजेंट के बीच दिखाई गई प्रेम कहानी बहुत हास्यास्पद है वास्तव में यह अपमानजनक लगती है। अंत में हम इन सब को फिक्शन समझकर इग्नोर कर देते हैं, लेकिन कहानी, स्क्रीनप्ले के मामले में ‘पठान’ बहुत कमजोर है।
निर्देशक सिद्धार्थ आनंद ने भी फिल्म की गति को बनाए रखा है। हालांकि कहानी कमजोर है, लेकिन सिद्धार्थ आनंद की कहानी का प्रेजेंटेशन बेहतरीन है और फिल्म कहीं भी बोरिंग नहीं लगती। एक्शन सीन्स बहुत अच्छी तरह से किए गए हैं। खासतौर पर सलमान की ‘टाइगर’ का कैमियो सीन जबरदस्त है। 
जॉन अब्राहम ने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की है और उनका काम बहुत ही सराहनीय है। सपोर्टिंग रोल्स में आशुतोष राणा और डिंपल कपाड़िया समान हैं। भले ही यह फिल्म सिर्फ और सिर्फ शाहरुख खान की शो है, लेकिन उनके द्वारा किए जाने वाले एक्शन सीन, उनके लुक्स, डायलॉग्स और बेफिक्र एटीट्यूड उनके फैन्स को सिनेमाघरों तक जरूर खींच लाएंगे।
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