कौन हैं ‘नोटबंदी को अवैध’ कहने वाले जस्टिस नागरत्न?

केंद्र सरकार के 1000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर आज (2 जनवरी) सुनवाई हुई।  सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि 2016 में केंद्र सरकार द्वारा की गई नोटबंदी वैध है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है।
जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। इनमें से चार जजों ने नोटबंदी के फैसले को वैध ठहराया, जबकि जस्टिस बीवी नागरत्न ने कहा कि यह फैसला अवैध और अवैध था।
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जस्टिस बीवी नागरत्न ने क्या कहा?
“8 नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार द्वारा लिया गया निर्णय अवैध था। 1000 और 500 रुपये के नोटों का चलन बंद होना एक गंभीर मामला है। केवल राजपत्र के माध्यम से अधिसूचना जारी कर केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी का निर्णय नहीं लिया जा सकता है। यह फैसला लेने से पहले इसे संसद में पेश किया जाना चाहिए था। आरबीआई ने यह फैसला स्वतंत्र रूप से नहीं लिया। आरबीआई द्वारा कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने मनमर्जी से नोटबंदी की है। साथ ही नोटबंदी का फैसला 24 घंटे के भीतर ले लिया गया।’
कौन हैं जस्टिस नागरत्न?
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न को 28 अक्टूबर 1987 को बैंगलोर उच्च न्यायालय में भर्ती कराया गया था। 18 फरवरी 2008 को, उन्हें कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। दो साल बाद, वह 17 फरवरी 2010 को स्थायी जज बनीं।
2012 में बीवी नागरत्न ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लेकर एक अहम फैसला दिया था। उन्होंने कहा, ‘मीडिया का काम है सच दिखाना। लेकिन, ‘ब्रेकिंग न्यूज’, ‘फ्लैश न्यूज’ और सनसनीखेज के अन्य रूपों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए,” नागरत्न ने कहा। तत्कालीन सरकार को इसके लिए एक स्वायत्त और वैधानिक तंत्र बनाने का निर्देश दिया गया था।
2027 में बन सकते हैं चीफ जस्टिस
जस्टिस बीवी नागरत्न के पिता ईएस वेंकटरमैया सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने 1889 में छह महीने के लिए मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला। अगर केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी तो बीवी नागरत्न 2027 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बन सकती हैं।