Gujarat HC: “लड़की का शादी के बाद संपत्ति में कोई अधिकार नहीं, यह मानसिकता गलत है”

गुजरात उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है कि यह मानसिकता कि शादी के बाद लड़की का संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है, मौलिक रूप से गलत है। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा है कि बेटी या बहन को लेकर समाज की मानसिकता बदलने की जरूरत है।
यह मानसिकता कि शादी के बाद बेटी या बहन का कोई अधिकार नहीं है, गलत है
संपत्ति से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि लड़कियों का संपत्ति पर अधिकार सिर्फ इसलिए नहीं छीना जा सकता कि वे शादीशुदा हैं। एक ही परिवार में पैदा हुए भाई की तरह एक बहन का संपत्ति पर समान अधिकार होता है। तो यह मानसिकता कि शादी के बाद संपत्ति का कोई अधिकार नहीं है गलत है।
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक पारिवारिक संपत्ति विवाद पर की
प्रधान न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति ए. शास्त्री की बेंच पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसमें याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यह स्पष्ट नहीं है कि उसकी बहन ने संपत्ति पर अपना अधिकार छोड़ा था या नहीं। हाईकोर्ट ने कहा कि यह मानसिकता मौलिक रूप से गलत है।
शादी के बाद भी बेटी की संपत्ति का दर्जा बेटे के बराबर ही रहेगा
न्यायाधीश ने आगे याचिकाकर्ताओं से कहा कि अगर बेटा विवाहित या अविवाहित रहता है, तो कानून परिवार में बेटे की स्थिति और संपत्ति के अधिकार में बदलाव नहीं करता है, जबकि लड़की विवाहित है या अविवाहित है, लड़की का अधिकार नहीं बदलता है। लड़की की स्थिति भी नहीं बदलेगी। 
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