हिंडनबर्ग की रिपोर्ट भारत पर सोची समझी साजिश
पिछले कुछ सालों में अडानी ग्रुप ने अपना प्रभाव जमाया है। गौतम अडानी ने अडानी ग्रुप के ग्लोबल एक्सपेंशन मिशन को आगे बढ़ाया। ऐसे में ग्लोबल रूप से अडानी ग्रुप का बढ़ना भला विदेशी कंपनियों को कैसे रास आ सकता है। तब तो और नहीं जब अडानी ग्रुप भारत की पहचान को दिनोदिन और स्ट्रांग करने में आगे की ओर बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में वेस्टर्न वर्ल्ड में जिस गति से भारत विरोधी नैरेटिव को फैलाया जा रहा है उसमें काफी वृद्धि हुई है।
उद्योगपति गौतम अडाणी के समूह ने वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को ‘भारत, उसकी संस्थाओं और विकास की गाथा पर सुनियोजित हमला’ बताते हुए रविवार को कहा कि आरोप ‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं’ हैं। अडाणी समूह ने 413 पन्नों के जवाब में कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ‘मिथ्या धारणा बनाने’ की ‘छिपी हुई मंशा’ से प्रेरित है, ताकि अमेरिकी कंपनी को वित्तीय लाभ मिल सके। समूह ने कहा, ‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता तथा भारत की विकास गाथा एवं महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है।’
अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी को राहत मिलने के संकेत मिल रहे हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ संजीव चड्ढा ने हाल ही में पुष्टि की है कि बैंक अडानी समूह को लोन प्रदान करना जारी रखेगा।
अडानी को लोन देना जारी रखेगा बैंक ऑफ बड़ौदा: CEO संजीव चड्ढा
बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ संजीव चड्ढा ने शुक्रवार को कहा कि अगर ग्रुप खाता ऋणदाताओं के हामीदारी मानदंडों को पूरा करता है तो बैंक अडानी समूह को ऋण देना जारी रखेगा। “हमारे लिए, कोई भी उधार निर्णय, फिर से, जोखिम के आकलन और उस विशेष जोखिम पर वापसी पर आधारित होता है। मुझे नहीं लगता कि हम इसे बिल्कुल बदल देंगे। जो कुछ भी हमारे हामीदारी मानदंडों को पूरा करता है वह हमारे लिए एक ऋण योग्य प्रस्ताव है,” उन्होंने कहा।
आरबीआई
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि भारत का “बैंकिंग क्षेत्र रेसिलिएंट और स्टेबल बना हुआ है,” अडानी समूह के लिए पीएसयू बैंकों के जोखिम पर उभर रहे सवालों को विराम देता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अडानी समूह के भारतीय बैंकों की ओर से दिए गए लोन पर बैंकिंग सेक्टर के रेग्युलेटर बयान जारी किया है. आरबीआई का कहना है कि, रेग्युलेटर और बैंकों के सुपवाइजर होने के नाते आरबीआई पूरे बैंकिंग सेक्टर और प्रत्येक बैंकों पर लगातार निगरानी बनाए रखता है, जिससे फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बनी रहे.
वित्त मंत्री का बयान
अडानी ग्रुप के मामले पर मचे बवाल पर शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान आया. वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की स्थिति किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि हमारा विदेशी मुद्रा भंडार पिछले दो दिनों में बढ़कर 8 मिलियन डॉलर हो गया है. FII का और FPO का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन अडानी के मामले से भारत की छवि और स्थिति प्रभावित नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि नियामक अपना काम करेंगे. उन्होंने कहा कि पहले भी FPO वापस लिए गए हैं।
आनंद महिंद्रा- भारत के खिलाफ दांव मत लगाओ
आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में कहा ग्लोबल मीडिया अनुमान लगा रहा है कि क्या इंडस्ट्रियल क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियां आर्थिक महाशक्ति बनने की भारत की महत्वाकांक्षाओं को पटरी से उतार देंगी। मैं लंबे समय से देख रहा हूं कि भारत भूकंप, सूखा, मंदी, युद्ध, आतंकवादी हमलों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि मैं बस इतना ही कहूंगा कभी भी भारत के खिलाफ दांव मत लगाओ। इस बीच, हिंडनबर्ग रिसर्च के सनसनीखेज आरोपों ने समूह की कंपनियों में बॉन्ड और शेयर कम भेजे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। हिंडनबर्ग रिसर्च पिछले दो साल से अडानी ग्रुप पर रिसर्च कर रही है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद से अडानी समूह की कंपनियों के बाजार में 1 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आई है। दूसरे दिन भी शेयरों में गिरावट से बाजार दो दिन में 4 लाख करोड़ कम हुआ।
हिंडनबर्ग रिसर्च के साथ शेयर शार्ट-शेलिंग भी करती है, इसीलिए उसकी भूमिका पर संदेह
हिंडनबर्ग अमेरिका की इनवेस्टमेंट रिसर्च कंपनी है। 2017 में इसे ‘नाथन एंडरसन’ नाम के एक अमेरिकी व्यक्ति ने स्थापित किया था। इस कंपनी का मुख्य काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है यानी कि शेयर मार्केट में कंपनियां पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं कर रही हैं या फिर बड़ी कंपनियां अपने फायदे के लिए अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो नहीं कर रही हैं। लेकिन इनवेस्टमेंट रिसर्च करने के साथ-साथ यह एक शार्ट-शेलर कंपनी भी है जोकि शेयर मार्केट में अलग-अलग कंपनियों के शेयर खरीदती और बेचती है और उससे मुनाफा कमाती है। इससे यह साफ हो जाती है कि हिंडनबर्ग ने शेयर के जरिये अपने मुनाफे के साथ-साथ इस रिसर्च के जरिये विदेशी मीडिया और भारत के विपक्षी दल को सरकार पर हमला करने का एक टूल दिया है।
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