Vijay Divas 2022: इंदिरा गांधी ने आधी रात को किया युद्ध का ऐलान और पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए
पाकिस्तान पर भारत की जीत के उपलक्ष्य में हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है। 1971 की जंग में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के पराक्रम के आगे घुटने टेक दिए थे। इस युद्ध के कारण दुनिया का नक्शा बदल गया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। 13 दिनों तक चले इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया था। आइए जानते हैं इस युद्ध से जुड़ी कुछ अहम घटनाएं।
1947 के विभाजन के कारण भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। हालाँकि, इस समय, पाकिस्तान दो भागों में विभाजित था, पश्चिम और पूर्व। बंगाल के एक बड़े हिस्से का नाम पूर्वी पाकिस्तान था। लेकिन इस क्षेत्र के नागरिकों को लगभग 24 वर्षों तक पाकिस्तान के जुल्म का सामना करना पड़ा। इस अत्याचार से खिन्न होकर पूर्वी पाकिस्तान के नागरिकों ने अन्ततः विद्रोह प्रारम्भ कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी उनका समर्थन किया था। पूर्वी पाकिस्तान के बहुत से लोगों को भारत में शरण दी गई।
एक गलती पाकिस्तान को महंगी पड़ी
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारतीय वायु सेना के स्टेशनों पर हमला करना शुरू कर दिया। इसने भारत को बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में सीधे कूदने के लिए मजबूर कर दिया। बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम अब भारत-पाकिस्तान युद्ध में बदल गया था। आधी रात को इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर युद्ध की घोषणा कर दी।
‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’
इस युद्ध के दौरान भारत ने ऑपरेशन ट्राइडेंट चलाया था। एंटी-सबमरीन फ्रिगेट आईएनएस खुखरी और कृपाण को भारतीय जल में सक्रिय पनडुब्बियों को नष्ट करने का काम सौंपा गया था। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय नौसेना ने कराची स्थित पाकिस्तान के एयरफोर्स बेस पर सीधा हमला किया। इस हमले में कई जहाज नष्ट हो गए। पाकिस्तान के तेल टैंकर भी तबाह हो गए। इससे कराची एयरपोर्ट कई दिनों तक जलता रहा।
पाक भारतीय सैनिकों के आगे झुक गया
मुक्ति बाहिनी ने भी पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में भारतीय सेना का समर्थन किया। युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा दक्षिणी क्षेत्र में की गई कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया गया था। भारतीय सेना के भारी हमले के कारण आखिरकार पाकिस्तान को झुकना पड़ा। लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह के नेतृत्व में 10 पैरा कमांडो बटालियन के सैनिकों ने पाकिस्तान के चाचरो शहर पर हमला किया। एक ओर जहां युद्ध में पिछडऩे के साथ-साथ पाकिस्तान पर वैश्विक स्तर से दबाव भी बढ़ता जा रहा था।
आखिरकार 13 दिनों तक चले इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को भारत के सामने घुटने टेकने पड़े। इस युद्ध के कारण दुनिया का नक्शा बदल गया और एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का उदय हुआ। दिलचस्प बात यह है कि यह एकमात्र उदाहरण है जब किसी दूसरे देश ने भूमि हड़पने के लिए नहीं बल्कि एक राष्ट्र को आजाद कराने के लिए युद्ध में कूद पड़े। इस युद्ध ने भारत की छवि एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में बनाई।
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