महाराष्ट्र में वीरता की एक महान परंपरा रही है। मराठी महिलाएं भी बहादुरी के मामले में कभी पीछे नहीं रहीं। स्वराजजननी जीजामाता से लेकर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई तक, कई महिलाओं ने न केवल राज्य पर शासन किया बल्कि युद्ध के समय रणनीति बनाने में भी अपना कौशल दिखाया। उसी परंपरा को आज मराठी बहनें निभा रही हैं।
भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटिल ने इस परंपरा को तोड़ा। वह न केवल देश की पहली महिला राष्ट्रपति थीं, बल्कि राष्ट्रपति पद की शक्तियों के साथ-साथ पहली महिला सेनाध्यक्ष भी बनीं।
जलगांव के ग्रामीण इलाकों में पली-बढ़ी प्रतिभाताई पाटिल को बचपन से ही देशभक्ति का शौक था। 1962 में चीन ने आक्रमण किया। इस हमले से पूरा देश स्तब्ध था। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रतिभाताई ने अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा कर घायल सैनिकों के लिए बड़ी मात्रा में कल्याण कोष इकट्ठा करने की भावनात्मक अपील की। वह उस समय युवा विधायक थीं। उनकी अपील को बड़ी प्रतिक्रिया मिली। कुछ महिलाओं ने इस राष्ट्रीय कारण के लिए अपने आभूषण दिए।
प्रतिभाताई ने रक्षा सेवाओं में योगदान देने के लिए जलगांव जिले में ‘जिला महिला गृह रक्षक दल’ की स्थापना की। उसने इस संबंध में आवश्यक सभी परीक्षणों को पास कर लिया। उन्हें होमगार्ड फोर्स के कमांडर के रूप में भी नियुक्त किया गया था। 303 तोप व निशानेबाजी प्रतियोगिता में उसने दूसरा स्थान प्राप्त किया। भारतीय सेना में उनकी गहरी रुचि थी और सेना के सम्मान के प्रतीक के रूप में उन्होंने अपनी अध्यक्षता के दौरान कमांडर-इन-चीफ का पद ग्रहण किया।
सेना शिविरों का दौरा
अपने करियर के दौरान, उन्होंने बहुत दूर स्थित सैन्य शिविरों में जाकर अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की। जम्मू-कश्मीर के सुदूरवर्ती सीमावर्ती इलाकों में गए और जवानों से मुलाकात की। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के साथ भी बातचीत की। उन्होंने वायुसेना और नौसेना (एयरक्राफ्ट कैरियर वॉरशिप विक्रांत) के ठिकानों का भी दौरा किया।
सुखोई 30 लड़ाकू विमान में उड़ान का अनुभव
भारतीय वायुसेना के सुखोई 30 लड़ाकू विमानों में उड़ान का अनुभव। 25 नवंबर 2009 को आई सूट पहने हुए लिया गया। इस लड़ाकू विमान में उनकी यात्रा उन महिलाओं के लिए एक प्रेरक और स्फूर्तिदायक अनुभव थी जो इस तरह के एक बहादुर लड़ाकू बल में सेवा करने की इच्छा रखती हैं। यह हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए भी था। रूस के राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने प्रतिभाताई को फोन कर उनके इस साहसिक कार्य के लिए बधाई दी।
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