रेपो रेट क्या है? जानिए इससे आपके होम लोन पर क्या असर पड़ता है

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी क्रेडिट नीति की घोषणा की है और तदनुसार रेपो दर में वृद्धि की गई है। रेपो रेट में 0.25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई है। इसलिए होम लोन महंगा होने जा रहा है। बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि कैसे अगर रेपो रेट ऊपर या नीचे जाता है, तो इसका सीधा असर आपके लोन पर पड़ता है।
आपने आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी के दौरान रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और सीआरआर जैसे शब्द सुने होंगे। लेकिन रेपो रेट बढ़ने से होम लोन महंगा कैसे हो गया? आइए जानें कि रेपो रेट कौन बढ़ाता है और इससे किसे फायदा होता है
रेपो रेट क्या है?
बैंकों को दिन-प्रतिदिन के लेन-देन के लिए बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक देश में बैंकों को शार्ट टर्म लोन प्रदान करता है। इस शॉर्ट टर्म लोन पर ली जाने वाली ब्याज दर को रेपो रेट कहा जाता है।
रिजर्व बैंक से जिस ब्याज दर पर कर्ज मिलता है, उसके आधार पर देश भर के बैंक अपने ग्राहकों के लिए ब्याज दर तय करते हैं। यदि रेपो दर बढ़ती है, तो ब्याज दर अधिक होगी और यदि रेपो दर घटती है, तो ब्याज दर कम होगी।
रिवर्स रेपो रेट
कई बार तो दिनभर के लेन-देन के बाद भी बैंक में बड़ा बैलेंस रहता है। बैंक इस राशि को अल्पावधि के लिए रिजर्व बैंक में जमा करते हैं। जिस दर पर रिजर्व बैंक उस राशि पर ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट एक दूसरे के विपरीत हैं। रिवर्स रेपो दर विभिन्न बैंकों द्वारा RBI के पास जमा धन पर बैंकों द्वारा अर्जित ब्याज को संदर्भित करता है। आरबीआई रिवर्स रेपो रेट के जरिए कैश लिक्विडिटी यानी बाजार में कैश की मात्रा को नियंत्रित कर सकता है।
देश में लागू बैंकिंग नियमों के अनुसार, प्रत्येक बैंक को अपने पास उपलब्ध कुल राशि में से एक निश्चित राशि रिज़र्व बैंक के पास जमा करनी होती है। इसे कैश रिजर्व रेश्यो कहा जाता है। उसी से एक निश्चित रकम तय होती है।
स्टॅट्युटरी लिक्विडीटी रेट (SLR) 
एसएलआर का पूरा नाम स्टॅट्युटरी लिक्विडीटी रेट है। जिस दर पर बैंक अपनी तय रकम सरकार के पास रखते हैं, उसे SLR कहते हैं। इसे बाजार में कैश या कॅश फ्लो को नियंत्रित करने का एक अन्य उपाय माना जाता है।
गवर्नर ने क्या कहा?
रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी के चलते होम लोन की ईएमआई में इजाफा होगा। मई 2022 में जब रेपो रेट 4 फीसदी था तो अब बढ़कर 6.5 फीसदी हो गया है। पिछले तीन वर्षों में ग्लोबल इकॉनमी पर प्रभाव के आधार पर दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों में वृद्धि का फैसला करना पड़ा है। राज्यपाल शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए यह कठिन फैसला लेना महत्वपूर्ण है। 
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